हसरत मोहनी के विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के प्रस्ताव को गांधीजी ने दिया आंदोलन का रूप(16:22) मोहम्मद शोएब खान नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)| आजादी के 75वें साल पर हम आपके लिए उन लोगों की कहानी लेकर आए हैं जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। ऐसी ही एक शख्सियत है हसरत मोहनी जिनका जन्म 1875 में ब्रिटिश भारत में संयुक्त प्रांत के उन्नाव जिले के शहर मोहान में हुआ। उनका पूरा नाम सैयद फजल-उल-हसन था। उन्होंने ही 1921 में पहली बार कांग्रेस में पूर्ण स्वाधीनता का प्रस्ताव रखा, वहीं विदेशी वस्तुओं के बहिस्कार करने का प्रस्ताव भी उन्होंने पहले रखा, जिसे आगे चलकर आंदोलन का रूप गांधी जी ने दिया।
ब्रिटिश सरकार के खिलाफ 12 वर्ष में ही इस शख्स ने पैदा कर दी थी बगावत की लहर(15:20) मनोज पाठक पटना, 14 अगस्त (आईएएनएस)| आजादी के 75वें साल में पूरा देश अमृत महोत्सव मना रहा है। गांव की पगडंडियों से लेकर शहर की सड़कों तक में हाथ में तिरंगा लिए बच्चों से लेकर युवा और बुजुर्ग दिख रहे हैं। इस अमृत महोत्सव में हम उन रणबांकुरों को नमन कर रहे हैं जिनकी रणनीति और साहस से हम हमें आजादी मिली।
असम के कवियों ने आजादी की लड़ाई में राष्ट्रवादी आकांक्षाओं को दिया था स्वर(14:20) सुजीत चक्रवर्ती गुवाहाटी/अगरतला, 14 अगस्त (आईएएनएस)| सन् 1920 से 1940 का दशक एक ऐसा दौर था, जब असम में स्वतंत्रता आंदोलन के तहत बड़ी संख्या में गीत, कविताएं और गीत लिखे गए थे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ये प्रेरणा के रूप में काम करते थे और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जनता पर बड़ा प्रभाव डालते थे।
'झंडा ऊंचा रहे हमारा' लिखने वाले लेखक का परिवार होगा सम्मानित(11:26) कानपुर (यूपी), 14 अगस्त (आईएएनएस)| देशभक्ति गीत 'झंडा ऊंचा रहे हमारा' के लेखक श्यामलाल गुप्ता 'प्रसाद' के परिवार को कानपुर के नरवाल गांव में गणेश सेवा आश्रम में सम्मानित किया जाएगा।
उषा मेहता: आजादी की योद्धा, जिनकी आवाज बनी अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति(22:53) काईद नजमी मुंबई, 13 अगस्त (आईएएनएस)| उस उम्र में जब ज्यादातर बच्चे किंडरगार्टन में जाते थे और एबीसीडी सीख रहे थे, तब गुजरात के सरस गांव की एक आठ वर्षीय लड़की उषा मेहता 1928 में स्वतंत्रता आंदोलन के एक विरोध मार्च में शामिल हुईं थीं और 'साइमन, गो बैक' के नारे लगा रही थीं।
मलकानगिरी के गांधी लक्ष्मण नायक का जीवन और शहादत(20:23) बिस्वा भूषण महापात्र नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)| भारत ने लगभग 200 वर्षों के निरंतर संघर्ष और अपने लाखों वीर सपूतों की कुर्बानी के बाद ब्रिटिश राज से आजादी हासिल की।